Job Market को प्रभावित करने वाले

Economic Factors के बारें में जानें

Know the economic factors affecting the job market

Know the economic factors affecting the job market

Job Market एक जटिल इकोसिस्टम है जिसे कई इकनोमिक फैक्टर्स प्रभावित करते हैं। इसे प्रभावित करने में इकनोमिक ग्रोथ, मजदूरों की भागीदारी, तकनीकी में विकास, ग्लोबलाइजेशन, स्किल्स, जनसख्याँ, सरकार की नीतियां, महंगाई, मार्केट डिमांड और आय में असमानता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसे अब हम एक उदहारण से समझते हैं – 2021 में कोरोना के बाद ग्लोबल जीडीपी 6% थी जिसने Job Market में कुछ हलचल की लेकिन हाल ही में दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनी McKinsey ने अपनी रिपोर्ट जारी की जिसमें उसने बताया की 2030 तक ऑटोमेशन की बजह से 80 करोड़ नौकरियाँ खतरे में होंगी। जब इस तरह की रिपोर्ट्स आती है तो ये स्टूडेंट्स, एम्प्लायर, पॉलिसीमेकर और अर्थशास्त्रियों को भविष्य को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने में मदद करता हैं।

इसलिए, दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम उन इकनोमिक फैक्टर्स की बात करेंगे जो Job Market को प्रभावित करते हैं और आप किस तरह इनका सामना कर सकते हैं इस पर भी चर्चा करेंगे:

1. Economic Growth and Recession

Economic Growth and Recession

इसे नकारा नहीं जा सकता है कि इकनोमिक ग्रोथ किस तरह से Job Market में नयी नौकरियाँ को जन्म देती है। एक मजबूत जीडीपी ग्रोथ जैसे कि 2010 और 2019 के बीच भारत की 6.7% वृद्धि हुई थी। ये ग्रोथ अपने साथ लाखों नौकरियाँ लेकर आयी और लगभग 80 करोड़ के खर्च पर 13 हजार नयी नौकरियों को जन्म दिया।

इसके विपरीत हमने 2008 का रिसेशन देखा जिसे अभी तक का सबसे बड़ा रिसेशन कहा जाता है जिसमें लाखों लोगो ने अपनी नौकरियाँ खोयी और बड़े-बड़े उद्योग बंद हो गये थे। भारत का स्टॉक मार्केट बुरी तरह से धरासायी हो गया और भारत के बैंक नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की समस्या से जूझने लगे। भारत सरकार ने इससे निपटने के लिये फाइनेंसियल रिफॉर्म्स, टैक्स और GST को कम करने जैसे फैसले लिये।

2. Labor Force Participation Rate

Labor Force Participation Rate

लेबर फाॅर्स पार्टिसिपेशन रेट से हम यह अनुमान लगा सकते है की कितने प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं। कम लेबर फाॅर्स पार्टिसिपेशन रेट से हम अंदाजा लगा सकते है कि कई लोगो की नौकरियाँ चली गयी है और बहुत सरे लोग नयी नौकरियों की तलाश में हैं। जबकि ज्यादा लेबर फाॅर्स पार्टिसिपेशन रेट हमें बताती है कि Job Market में नौकरियों के अवसर बहुत सारे हैं।

सितम्बर 2021 में अमेरिका में लेबर फाॅर्स पार्टिसिपेशन रेट 61.6% थी। जिसका मतलब था कि इतने लोग या तो Job Market का हिस्सा थे या फिर जॉब की तलाश कर रहे थे। यह भी ध्यान देने वाली बात थी कि 2021 में कोरोना वायरस था जिस वजह से हो सकता है की बहुत सारे लोग स्वास्थ्य की चिंताओं की वजह से वर्क फाॅर्स का हिस्सा न रहे हों।

3. Technology and Automation

Technology and Automation

टेक्नोलॉजी की ग्रोथ और ऑटोमेशन ने Job Market को बहुत हद तक बदल कर रख दिया हैं। ये परिवर्तन वर्कफोर्स के लिये अवसर और चुनौती दोनों लेकर आया हैं। उदाहरण के लिये, अमेरिका में 2000 से 2010 के बीच लगभग 60 लाख नौकरियाँ ऑटोमेशन की बजह से गयी थी। हालाँकि AI के बढ़ने की बजह से ये 13 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देगा जिससे लाखों नयी नौकरियाँ जन्म लेंगी। आने वाले समय में रेन्यूवल एनर्जी में भी 1 करोड़ नयी नौकरियाँ पैदा होंगी।

फिर भी, इन परिवर्तनों को समझने के लिए तुरंत अपस्किलिंग और रीस्किलिंग की आवश्यकता है, क्योंकि विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2025 तक टेक्नोलॉजिकल डिसरपसंश के कारण सभी कर्मचारियों के 50% को रीस्किलिंग की आवश्यकता होगी। सरकारें और उद्योग इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग और एजुकेशनल कार्यक्रमों के माध्यम से कदम उठा रहे हैं, और गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे टेक जांट्स फ्री कोर्स प्रदान करके स्किल गैप को भरने का प्रयास कर रहे हैं।

4. Education and Skills Gap

Education and Skills Gap

आज के समय में स्किल्स की कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है। एक तरफ तो बेरोजगार लोगों की भीड़ है तो वही दूसरी ओर एम्प्लॉयर्स को अच्छे लोग ढूढ़ने से भी नहीं मिलते हैं। बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी ने इस स्किल गैप को और बढ़ा दिया है, 2025 तक आधी वर्कफोर्स को रेस्किलिंग की जरुरत होगी। इस गैप को भरने के लिये पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप्स उभर कर आ रहीं हैं।

5. Inflation and Cost of Living

Inflation and Cost of Living

जब वस्तुओं की कीमत धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और ये अपनी लिमिट 2-6% से अधिक हो जाती है तो इसे इन्फ्लेशन कहते हैं। ऐतिहासिक आंकड़ों से हम अनुमान लगा सकते है कि इन्फ्लेशन रेट बदलती रहती है। 1970 में इन्फ्लेशन अपनी लिमिट क्रॉस कर गयी थी और इसने डबल डिजिट को छू लिया था जिसकी बजह से लोगों ने भारी महँगाई का सामना किया था। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने इंटरेस्ट रेट्स को एडजस्ट कर इसे काबू में करने में सफल रहीं। इन्फ्लेशन एक वैश्विक चुनौती है इसे वेनेज़ुएला में सभी देख चुके हैं।

जॉब मार्केट एक बदलती फील्ड है जिसे अनगिनत फैक्टर प्रभावित करते हैं। ऐसे लोग जो जॉब की तलाश में है या बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं उनके लिये इन फैक्टर्स को समझना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। इन इकनोमिक कंडीशंस को स्वीकार कर और चुनौतियों का सामना कर आप इस बदलते हुई Job Market में जॉब के अवसर पा सकते हैं।

FAQs

Q.1: Job Market क्या है?

Job Market एक जटिल इकोसिस्टम होता है जिसमें नौकरियों की आपूर्ति और मांग होती है। यह इकोनॉमिक ग्रोथ, तकनीकी विकास, स्किल्स, सरकारी नीतियों, जनसंख्या, इन्फ्लेशन, मार्केट की मांग, और आय में असमानता जैसे अनगिनत कारकों से प्रभावित होता है।


Q.2: इकनोमिक ग्रोथ का Job Market पर क्या प्रभाव होता है?

इकनोमिक ग्रोथ नए नौकरियों को जन्म देती है और Job Market को सुदृढ़ करती है। यह विकास करने वाले उद्योगों के लिए नौकरियों के अवसर पैदा कर सकती है।


Q.3: टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन कैसे Job Market को प्रभावित करते हैं?

टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन नौकरियों को बदल सकते हैं। ऑटोमेशन के कारण कुछ नौकरियाँ खतरे में हो सकती हैं, जिससे लोगों को रीस्किलिंग की आवश्यकता हो सकती है।

Q.4: इन्फ्लेशन और ऑटोमेशन Job Market को कैसे प्रभावित करते हैं?

इन्फ्लेशन और ऑटोमेशन जॉब मार्केट पर भी प्रभाव डाल सकते हैं, क्योंकि ये लोगों की आय को प्रभावित कर सकते हैं और महंगाई के कारण लोगों की वित्तीय स्थिति पर असर डाल सकते हैं।

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